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व्यक्तित्व को मुख्य चार भागो में बांटा गया हैं
व्यक्तित्व में विचारो और व्यवहारो की भूमिका के साथ साथ शारीरिक विशेषताओं को नकारा नहीं जा सकता। शारीरिक विशेषताओं से अर्थ खूबसूरत चेहरे का नहीं बल्कि उच्च स्तर की ऊर्जा, व्यक्तिगत स्वच्छता की और सक्रियता से ही साथ ही सही शिष्टाचार, कैसे बोलना और दूसरों के ज्ञान का इलाज करना अत्यंत आवश्यक है।
हमारे व्यक्तित्व का एक ही महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे व्यक्तिगत संबंध हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व इस बात से भी आँका जा सकता है कि वह अपने व्यक्तिगत रिश्तों को किस प्रकार प्रबंधित करता है या उसमे कितना सफल रहा है।
विक्खायात शरीर विज्ञानी हिप्पोक्रेट्स ने सबसे पहले पर्सनैलिटी को चार भाग में बांटा था
रक्तवर्ण,
उदास,
सुस्त,
क्रोधी।
उनका मानना था कि संगीन लोगो में रक्त की मात्रा अधिक होती है और ये खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं और अधिक सोच विचार नहीं करते, मेलानोलिक(उदास) बहुत ही व्यवस्थित और तार्किक होते हैं हर चीज़ को सोच समझ के चलते है, फल्ग्मेटिक(सुस्त) लोग शांत प्रवृत्ति के होते हैं किसी भी बात पर वे अधिक उत्तेजित नहीं होते हैं और कोलेरिक(क्रोधी) गुस्सा वाले होते हैं उनके अंदर नेतृत्व की गुणवत्ता भी अधिक होती है जिसके कारण वे दूसरों को हावी करते हैं।
इससे आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं कि हर तरह के पर्सनॅलिटी की अपनी ही विशेषता है और इस दुनिया में इन चारो टाइपो की आवश्यकता है ताकि संतुलन बना रहे। हम सब में ये चारो लक्षण या व्यक्तित्व होते हैं पर किसी में कोई गुण ज़्यादा है तो किसी में कोई और ये सब शारीरिक गुणों के कारण नहीं है बल्कि हमारी स्वाभाविक प्रवृति के कारण है।
हमे एक दूसरे की पर्सनैैलिटी को पहचानना है और उसके हिसाब से समायोजन करना है। मान पैदा की आप संगीन है तो ज़रूरी नहीं कि आपका साथी भी संगीन हो, हो सकता है की वो क्रोधी हो या सुस्त हो बल्कि अगर आप संगीन हैं तो हो सकता है की आप के चंचल स्वाभाव के कारण दायित्व से निर्णय ना ले पाए ऐसे में कोई भी उदासीन व्यक्तित्व वाला आपको बेहतर मार्गदर्शक कर सकता है।
हमे सामने वाले की व्यक्तित्व को भाँपते हुए प्रतिक्रिया करना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति इस दुनिया में अद्वितीय है। हमे हर प्रकार के व्यक्तित्व की इज्जत होनी चाहिए और उनके व्यक्तित्व को विकसित करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए,
क्योंकि "व्यक्तित्व मानव के लिए है जैसे सुगंध फूल है।"
सकारात्मक दृष्टिकोण, आत्मविश्वास, आत्म प्रेरणा और अच्छी बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल कर के अपने व्यक्तित्व को विकसित किया जा सकता है।
व्यक्तित्व में विचारो और व्यवहारो की भूमिका के साथ साथ शारीरिक विशेषताओं को नकारा नहीं जा सकता। शारीरिक विशेषताओं से अर्थ खूबसूरत चेहरे का नहीं बल्कि उच्च स्तर की ऊर्जा, व्यक्तिगत स्वच्छता की और सक्रियता से ही साथ ही सही शिष्टाचार, कैसे बोलना और दूसरों के ज्ञान का इलाज करना अत्यंत आवश्यक है।
हमारे व्यक्तित्व का एक ही महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे व्यक्तिगत संबंध हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व इस बात से भी आँका जा सकता है कि वह अपने व्यक्तिगत रिश्तों को किस प्रकार प्रबंधित करता है या उसमे कितना सफल रहा है।
विक्खायात शरीर विज्ञानी हिप्पोक्रेट्स ने सबसे पहले पर्सनैलिटी को चार भाग में बांटा था
रक्तवर्ण,
उदास,
सुस्त,
क्रोधी।
उनका मानना था कि संगीन लोगो में रक्त की मात्रा अधिक होती है और ये खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं और अधिक सोच विचार नहीं करते, मेलानोलिक(उदास) बहुत ही व्यवस्थित और तार्किक होते हैं हर चीज़ को सोच समझ के चलते है, फल्ग्मेटिक(सुस्त) लोग शांत प्रवृत्ति के होते हैं किसी भी बात पर वे अधिक उत्तेजित नहीं होते हैं और कोलेरिक(क्रोधी) गुस्सा वाले होते हैं उनके अंदर नेतृत्व की गुणवत्ता भी अधिक होती है जिसके कारण वे दूसरों को हावी करते हैं।
इससे आप अंदाज़ा लगा ही सकते हैं कि हर तरह के पर्सनॅलिटी की अपनी ही विशेषता है और इस दुनिया में इन चारो टाइपो की आवश्यकता है ताकि संतुलन बना रहे। हम सब में ये चारो लक्षण या व्यक्तित्व होते हैं पर किसी में कोई गुण ज़्यादा है तो किसी में कोई और ये सब शारीरिक गुणों के कारण नहीं है बल्कि हमारी स्वाभाविक प्रवृति के कारण है।
हमे एक दूसरे की पर्सनैैलिटी को पहचानना है और उसके हिसाब से समायोजन करना है। मान पैदा की आप संगीन है तो ज़रूरी नहीं कि आपका साथी भी संगीन हो, हो सकता है की वो क्रोधी हो या सुस्त हो बल्कि अगर आप संगीन हैं तो हो सकता है की आप के चंचल स्वाभाव के कारण दायित्व से निर्णय ना ले पाए ऐसे में कोई भी उदासीन व्यक्तित्व वाला आपको बेहतर मार्गदर्शक कर सकता है।
हमे सामने वाले की व्यक्तित्व को भाँपते हुए प्रतिक्रिया करना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति इस दुनिया में अद्वितीय है। हमे हर प्रकार के व्यक्तित्व की इज्जत होनी चाहिए और उनके व्यक्तित्व को विकसित करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए,
क्योंकि "व्यक्तित्व मानव के लिए है जैसे सुगंध फूल है।"
it's good BTW. keep it up. best of luck
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